Thursday 20 March 2014

इंक़लाबी लोगों का कहना है कि गुजरात में तरक्की हुई ही नहीं.

हिन्दुस्तान में सियासी जमातों की आमद का महीना गर्मियों में शुरू होता है. राजनीति की पिच इतनी सरगर्म हो जाती है कि उस पर दौड़ने वाले लोग जिस्मानी और अक्ली तौर पर अपना तवाजुन खो देते हैं. बनारस का हाल तो और भी खतरनाक मोड़ पर है. वहां देश के जाने माने सियासतदां जनाब नरेंद्र मोदी की तरफ से हुंकार भरी गई है. गौरतलब है कि जनाब मोदी को हिन्दुस्तान के मुसलमान पसंद नहीं करते ,वजह 2002 के गुजरात दंगों को बताया जाता है. अप्रैल के महीने में जहां देश भर की अवाम गोवा,कश्मीर और दीगर ठंडी जगहों पर जा कर होलीडे मनाती है वहीँ नेता गलियों और चौराहों की ख़ाक छानते हैं.
सुनने में आया है की आम आदमी पार्टी के नाम से बनी एक सियासी जमात के अमीर जनाब अरविन्द केजरीवाल भी काशी से अपना परचा भरना चाहते हैं लेकिन हमेशा की तरह वे इस बाबत अवाम में रायशुमारी करवाना चाहते हैं.वहीँ देश को पिछले दस सालों से संभालने वाली कांग्रेस पार्टी के दिग्गज और ट्विटर पर मौजूद रहने वाले जनाब दिग्विजय सिंह जी भी मोदी से लड़ने को हामी भर चुके हैं. ऐसे में मुक़ाबला बेहद दिलचस्प हो जाता है अगर आलाकमान राजा की बात मानते हुए उन्हें टिकट दे देती है तो.

बनारस के लोग बनारस में रह कर ही तिजारत करते हैं इसलिए उनकी तहज़ीब में मिलावट नहीं आ पाई है,वरना हिंदोस्तान के ज्यादातर शहरों में मिलावट कायदे से हो चुकी है. मिलावट कई तरह की होती है ,कहीं उसे अच्छा समझा जाता है तो कहीं ख़राब. बनारस के हालिया माहौल पर नज़र डालें तो लोग गुजरात माडल की तरफदारी करते नहीं थकते. इसके लिए बनारस वालों को मीडिया का शुक्रगुजार होना चाहिए कि इतने जमाने से गुजरात भारत का हिस्सा है और उन्हें अब जा कर इसका एहसास हुआ. गुजरात के रहने वाले कुछ बाशिंदे अब अपनी ईमेल और फेसबुक अकाउंट में ‘द ग्रेट हिंदुत्वा स्टेट गुजरात’ लिखने लगे हैं लिहाजा बनारस वालों की खुशियों जल्द ही मातम में बदल जाएंगी जब गुजरात उन्हें अपना मानने से इंकार कर देगा. अभी बनारस में रहने वालों को इस बात का इल्म नहीं हुआ है कि उन्हें पिछले 65 साल से ढगा जा रहा था उसका सिलसिला यूंही आगे बदस्तूर जारी रहेगा. हिंदी ज़ुबान के मशहूर लेखक काशीनाथ सिंह ने मोदी के आने पर बनारस की तरक्की हो जाने की बात कही है ,ऐसा हो जाएगा या नहीं इसका कयास लगाना जून महीने में बारिश हो जाएगी या नहीं के जैसा है. लेकिन इस बात को कतई नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि बनारस की एक बड़ी अवाम तरक्की के मुद्दे पर जनाब नरेंद्र मोदी के साथ खड़ी है. इंक़लाबी लोगों का  कहना है कि गुजरात में तरक्की हुई ही नहीं है ,एक नौजवान मुजाहिद ने तो यहाँ तक कह डाला की एक रुपए के काम को एक हजार रुपए खर्च कर मुनादी करवाने में ये लोग माहिर हैं. फिलहाल विकिलीक्स ने भी बता दिया कि मोदी और उनकी जमात हिन्दुस्तान में अवाम को अँधेरे में रख कर हुकूमत में आना चाहते हैं. पूरी दुनिया में इस बात की चर्चा शुरू हो गई कि हिन्दुस्तान में इलेक्शन के दरम्यान लोग कितना झूठ बोलते हैं. मुसलमानों को आज़ादी के वक्त यहाँ ठहर जाने की बात कहने वाले गांधी जी को भी बहुत से लोग इस चुनाव में घसीट चुके हैं तो दूसरी तरफ हैदराबाद में निज़ाम को घुंटने टेकने पर मजबूर करने वाले सरदार पटेल की याद और मोदी की कयादत में मूर्ति बनवाने की बात भी चली. इन दोनों जज्बाती हिस्से में लोगों के खूब जोर शोर से अपनी खिदमत फ़राहम करवाई. एक मर्तबा ऐसे ही लाखों करोड़ो लोगों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद के वक्त सब कुछ भुला कर खिदमत पेश की थी लेकिन अफ़सोस उससे कुछ ख़ास हासिल नहीं हो सका. दुनिया में यही एक अलहदा मुल्क है जहां वादे इसलिए किए जाते हैं ताकि उन्हें पूरा न किया जा सके. लोहा सबने दिया पर वो गया कहां किसी ने नहीं पूछा ,अरे कम से कम मंदिर के नाम पर दिए गए दान के बारे में तो पूछताछ कर ही सकते हैं आप ,या ये भी नहीं होगा. बनारस में बिना किसी ख़ास मुद्दे के लोग आपस में लड़ रहे हैं,अभी तक न तो लैपटाप का वादा हुआ न ही अनाज का और न तो स्विस बैंक से पैसा वापस लाने का. नेता ऊपर से वादे थोप देता है और अवाम उसे अपना वादा समझ कर निभाने का इंतज़ार करती है. सड़क टूट गई है ,इस बार दरिया-ए-गंगा ने बनारस के भीतर तक लोगों को स्नान करवाया. लोग कई हफ़्तों तक घरों के दरवाज़े बंद कर छत पर महफूज़ बने रहे थे. इन हालात में बिना प्रैक्टिस के बनारस से परचा भरने वालों को अगर वहां जीत मिल जाती है तो जिस्म और दिमाग का माहौल इस मर्तबा अवाम का बिगड़ने वाला है नेता का नहीं.

3 comments:

  1. पढ़ा..बस पढ़ता ही गया |बहुत खूब |

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  2. केवल लफ्फाज़ी ही करनी तो बहुत लोग पहले ही लगे हुए हैं. कुछ तथ्य ही लिख दिये होते......!

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  3. जो अपने मेंटर का सगा ना हुुआ, उसका बुढ़ापा ख़राब किए हुुए है, वो बनारस वालों का क्या सगा होगा...सियासत में ऊपरी पायदान पर पहुंचने के बाद सबसे पहले उसी सीढ़ी को लात मारी, जिसके सहारे ऊपर चढ़ा...

    जय हिंद...

    जय हिंद...

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